यह जरूरी नहीं है कि आप इस लेख की सारी विधियों को करें जरूरी यह है कि आप जो कुछ भी इस लेख को पढ़कर कर सकते हैं उसे करें
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ALL NETI KRIYA IS VERY IMPORTANT AND EFFECTIVE
JAL NETI जल नेति
AsanasDoing Yoga Asanas benefits you with a flexible & healthy body. Daily yoga practice will help stretch and tone your body muscles. Drains your lymphs and boosts immunity.
PranayamaPranayama is the formal practice of controlling the breath. It is very beneficial as it purifies your mind. Pranayama can act as one of the simplest and effective ways to boost immunity.
MeditationMeditation is the best way to eliminate negative thoughts, worries & all those factors which are a barrier to our happiness. Meditation improves the immune system, reduces blood pressure.
Mantra ChantingThe vibrations arising from chanting this mantra aligns all your internal energy chakras with certain lymph nodes. This in turn helps strengthen your immune system.
Mudra BandhaTreated under the heading of "Mudra", "Bandha" is a term for body locks in Hatha Yoga. Select the Mudra Bandha which suits you & practice regularly to get rid of many diseases.
Ayurveda TeachingAlmost everyone is aware of the benefits of Ayurveda.(Ancient medicine) herbs such as tulsi, cinnamon, black pepper,(dry ginger) and raisins and regular yoga are strong aids to increase the body's immunity against harmful viruses.
Kriyas/ShatkarmaKriyas and Shatkarmas are the cleansing techniques which purify your body.The six Shatkarmas Techniques and Benefits of Shatkarmas Techniques: 1.Neti 2.Dhauti 3.Nauli 4.Basti 5.Kapalbhati 6.Trataka
Yoga NidraBoth deep thinking and yoga nidra help activate the relaxation response and improve the functioning of your nervous system and endocrine system, which affects your hormones(chemicals produced by the body).
Asanas
Doing Yoga Asanas benefits you with a flexible & healthy body. Daily yoga practice will help stretch and tone your body muscles. Drains your lymphs and boosts immunity.
Pranayama
Pranayama is the formal practice of controlling the breath. It is very beneficial as it purifies your mind. Pranayama can act as one of the simplest and effective ways to boost immunity.
Meditation
Meditation is the best way to eliminate negative thoughts, worries & all those factors which are a barrier to our happiness. Meditation improves the immune system, reduces blood pressure.
Mantra Chanting
The vibrations arising from chanting this mantra aligns all your internal energy chakras with certain lymph nodes. This in turn helps strengthen your immune system.
Mudra Bandha
Treated under the heading of "Mudra", "Bandha" is a term for body locks in Hatha Yoga. Select the Mudra Bandha which suits you & practice regularly to get rid of many diseases.
Ayurveda Teaching
Almost everyone is aware of the benefits of Ayurveda.(Ancient medicine) herbs such as tulsi, cinnamon, black pepper,(dry ginger) and raisins and regular yoga are strong aids to increase the body's immunity against harmful viruses.
Kriyas/Shatkarma
Kriyas and Shatkarmas are the cleansing techniques which purify your body.The six Shatkarmas Techniques and Benefits of Shatkarmas Techniques: 1.Neti 2.Dhauti 3.Nauli 4.Basti 5.Kapalbhati 6.Trataka
Yoga Nidra
Both deep thinking and yoga nidra help activate the relaxation response and improve the functioning of your nervous system and endocrine system, which affects your hormones(chemicals produced by the body).
खासतौर पर बरसात के समय में पैर के नाखून, पैर की उंगलियों के बीच या पैर की त्वचा पर पनपने वाले इंफेक्शन से बचाने में सरसों का तेल बहुत अधिक प्रभावी है।
रात को सोने से पहले यदि आप सरसों के तेल को नाक में लगाएंगे तो जुखाम, खांसी, गले में दर्द, नाक का बहना, कान की खुजली इत्यादि सभी समस्याओं में आपको राहत मिलेगी।
-सरसों के शुद्ध तेल में ऐंटिफंगल, ऐंटिबैक्टीरियल और ऐंटिवायरल प्रॉपर्टीज पाई जाती हैं। ये सभी तत्व हमारे शरीर को इन पेथोजेन्स यानी वायरस, बैक्टीरिया और फंगस से होनेवाले नुकसान से बचाती हैं।
नियमित रूप से शरीर पर सरसों के तेल की पूरे शरीर पर मालिश करने से अनचाहे दाने, फुंसी, खुजली, दाद या त्वचा के रुखेपन का सामना नहीं करना पड़ता है।
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कपालभाति प्राणायाम/क्रिया
कपालभाति प्राणायाम दिन में सुबह के समय, सूर्योदय के पहले करने पर अधिक लाभ होता है। इस प्राणायाम अभ्यास को नया नया शुरू करने वाले व्यक्ति को दो से तीन मिनट में थकान महसूस हो सकती है| परंतु एक या दो हफ्तों के अभ्यास के बाद कोई भी सामान्य व्यक्ति लगातार पांच मिनट से अधिक समय तक कपालभाति प्राणायाम करनें के लिए सक्षम हो जाता है।
- कपालभाति प्राणायाम हमेशा शुद्ध वातावरण में ही करना चाहिए। पद्मासन में बैठ कर इस आसान को करने पर अधिक लाभ होता है।
- कपालभाति प्राणायाम करने के लिए किसी अच्छी शांत और स्वच्छ जगह का चयन करके, वहाँ पर आसन बिछा कर पद्मासन में बैठ जाए।
- अब आगे कपालभाति प्राणायाम की शुरुआत करने के लिए श्वास सामान्य गति से शरीर के अंदर की और लेनी होती है। और तेज़ गति से बाहर निकालनी होती है। यह पूरी प्रक्रिया एक रिद्म में होनी चाहिए।
- प्रत्येक सेकंड में एक बार पूरी सांस को तेजी के साथ नाक से बाहर छोड़ें, इससे पेट अन्दर चला जाएगा। कपालभाती में प्रत्येक सेकंड में एक बार सांस को तेजी से बाहर छोड़ने के लिए ही प्रयास करना होता है| साँस को छोड़ने के बाद, सांस को बाहर न रोककर बिना प्रयास किये सामान्य रूप से सांस को अन्दर आने दें| प्रत्येक सेकंड में साँस को तेजी से बाहर छोड़ते रहे| इस हिसाब से एक मिनट में सांठ बार और कुल पाँच मिनट में तीनसौ बार आप वायु (सांस) बाहर फैंकनें की क्रिया करें। (थकान महसूस होने पर बीच बीच में रुक कर विश्राम अवश्य लेते रहें)।
- शुरुआत में अगर एक मिनट में साठ बार सांस बाहर फैंकने में थकान हों, तो एक मिनट में तीस से चालीस बार सांस बाहर निकालें और अभ्यास बढ्ने के साथ साथ गति को प्रति मिनट साठ सांस तक ले जायें।
- कपालभाति प्राणायाम का अभ्यास लंबे समय तक सही तरीके से करने पर इसकी अवधि पांच मिनट से पंद्रह मिनट तक बढ़ाई जा सकती है। यानी की पांच-पांच मिनट के तीन चरण।
- AIDS, कैंसर, एलर्जी, टीबी, हेपीटाइटस और दूसरी ऐसी जटिल बीमारी के रोगी को कपालभाति प्राणायाम दिन में तीस मिनट तक करना चाहिए। और अगर ऐसा रोगी दिन में सुबह और शाम दोनों समय कपालभाति प्राणायाम तीस तीस मिनट कर सके तो और भी बहेतर होगा।
- स्वस्थ व्यक्ति कपालभाति प्राणायाम को प्रति दिन एक ही बार करे तो भी उसे बहुत अच्छे शारीरिक और मानसिक लाभ होता है।
- कपालभाति प्राणायाम हमेशा शुद्ध वातावरण में ही करना चाहिए। पद्मासन में बैठ कर इस आसान को करने पर अधिक लाभ होता है।
- कपालभाति प्राणायाम करने के लिए किसी अच्छी शांत और स्वच्छ जगह का चयन करके, वहाँ पर आसन बिछा कर पद्मासन में बैठ जाए।
- अब आगे कपालभाति प्राणायाम की शुरुआत करने के लिए श्वास सामान्य गति से शरीर के अंदर की और लेनी होती है। और तेज़ गति से बाहर निकालनी होती है। यह पूरी प्रक्रिया एक रिद्म में होनी चाहिए।
- प्रत्येक सेकंड में एक बार पूरी सांस को तेजी के साथ नाक से बाहर छोड़ें, इससे पेट अन्दर चला जाएगा। कपालभाती में प्रत्येक सेकंड में एक बार सांस को तेजी से बाहर छोड़ने के लिए ही प्रयास करना होता है| साँस को छोड़ने के बाद, सांस को बाहर न रोककर बिना प्रयास किये सामान्य रूप से सांस को अन्दर आने दें| प्रत्येक सेकंड में साँस को तेजी से बाहर छोड़ते रहे| इस हिसाब से एक मिनट में सांठ बार और कुल पाँच मिनट में तीनसौ बार आप वायु (सांस) बाहर फैंकनें की क्रिया करें। (थकान महसूस होने पर बीच बीच में रुक कर विश्राम अवश्य लेते रहें)।
- शुरुआत में अगर एक मिनट में साठ बार सांस बाहर फैंकने में थकान हों, तो एक मिनट में तीस से चालीस बार सांस बाहर निकालें और अभ्यास बढ्ने के साथ साथ गति को प्रति मिनट साठ सांस तक ले जायें।
- कपालभाति प्राणायाम का अभ्यास लंबे समय तक सही तरीके से करने पर इसकी अवधि पांच मिनट से पंद्रह मिनट तक बढ़ाई जा सकती है। यानी की पांच-पांच मिनट के तीन चरण।
- AIDS, कैंसर, एलर्जी, टीबी, हेपीटाइटस और दूसरी ऐसी जटिल बीमारी के रोगी को कपालभाति प्राणायाम दिन में तीस मिनट तक करना चाहिए। और अगर ऐसा रोगी दिन में सुबह और शाम दोनों समय कपालभाति प्राणायाम तीस तीस मिनट कर सके तो और भी बहेतर होगा।
- स्वस्थ व्यक्ति कपालभाति प्राणायाम को प्रति दिन एक ही बार करे तो भी उसे बहुत अच्छे शारीरिक और मानसिक लाभ होता है।
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ReplyDeleteSure thanks
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